LIC IPO में दिखी आत्मनिर्भर भारत की झलक, आम इन्वेस्टर्स ने बनाया सफल: DIPAM सेक्रेटरी

देश का सबसे बड़ा आईपीओ 'LIC IPO' इस सप्ताह सोमवार को बंद हो चुका है. 04 मई से 09 मई तक खुले इस आईपीओ को लगभग हर कैटेगरी के इन्वेस्टर्स का शानदार रिस्पॉन्स मिला. खासकर पॉलिसी होल्डर्स (Policy Holders) और कर्मचारियों (Employees) के लिए रिजर्व रखे गए हिस्से को हाथों-हाथ लिया गया. सरकार भी इस बात की सराहना कर रही है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का तो यहां तक मानना है कि इस आईपीओ को सफल बनाने में आम इन्वेस्टर्स की भूमिका अहम रही और इससे 'आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat)' की झलक भी दिखी.निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय (DIPAM Secretary Tuhin Kant Pandey) ने आज तक के सहयोगी चैनल बिजनेस टुडे टेलीविजन से इस बारे में बात की. उन्होंने सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा कि एलआईसी आईपीओ को घरेलू निवेशकों से शानदार रिस्पॉन्स मिला. घरेलू इन्वेस्टर्स ने एलआईसी आईपीओ की लॉन्चिंग को प्रभावित कर रहे बाहरी फैक्टर्स की परवाह किए बिना इसे हाथों-हाथ लिया. यह आत्मनिर्भर भारत का बढ़िया उदाहरण हो सकता है,मेंदिखीआत्मनिर्भरभारतकीझलकआमइन्वेस्टर्सनेबनायासफलDIPAMसेक्रेटरी जहां इतने बड़े इश्यू को घरेलू इन्वेस्टर्स ने सफल बना दिया.दीपम सेक्रेटरी ने कहा, 'हमने इसके लिए खूब मेहनत की थी. भारत के लोग एलआईसी का सम्मान करते हैं और इसके प्रति वफादार हैं. यह भारत का सबसे बड़ा आईपीओ रहा. प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी पॉलिसीहोल्डर्स, कर्मचारियों और रिटेल इन्वेस्टर्स समेत घरेलू निवेशकों ने इसे ऊपर उठाया. यह आईपीओ कैपिटल मार्केट की पैठ को व्यापक बनाने वाला है.' उन्होंने यह भी बताया कि एलआईसी आईपीओ का अलॉटमेंट 12 मई को होगा और इसके शेयर ओपन मार्केट में 17 मई को लिस्ट होंगे.पांडेय ने कहा, '04 मई को खुले इस आईपीओ को अंतिम दिन तक 2.95 गुना सब्सक्राइब किया गया. इस इश्यू में 16.20 करोड़ शेयर ऑफर किए गए थे. इन्वेस्टर्स ने कुल 47.83 करोड़ इक्विटी शेयरों के लिए बोलियां पेश की. एलआईसी आईपीओ के कारण बड़ी संख्या में नए डीमैट अकाउंट खुले.' दीपम के एक अन्य अधिकारी आलोक पांडे ने बताया कि भले ही इस इश्यू का साइज 21 हजार करोड़ रुपये है, सरकार को इस आईपीओ से 20,500 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. इसका कारण रिटेल इन्वेस्टर्स और पॉलिसी होल्डर्स को दिया गया डिस्काउंट है.डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज (DFS) के सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने कहा कि एलआईसी के लिए पॉलिसी होल्डर्स सबसे पहले आते हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में एलआईसी बोर्ड पॉलिसी होल्डर्स के हितों को ध्यान में रखकर ही कोई भी फैसला लेगा. उन्होंने कहा कि ओपन मार्केट में लिस्टिंग के बाद भी पॉलिसी होल्डर्स सुप्रीम बने रहेंगे. उन्होंने कहा, 'एलआईसी का अस्तित्व उपभोक्ताओं के लिए है और इसी कारण शेयरधारकों के साथ-साथ वे (पॉलिसी होल्डर्स) एलआईसी का अहम हिस्सा बने रहेंगे.'